भारत में AI तकनीक का रोजगार पर प्रभाव एक गतिशील और बहुआयामी परिदृश्य प्रस्तुत करता है, जहाँ नौकरियों का विस्थापन और नए अवसरों का सृजन साथ-साथ चल रहा है।
NASSCOM के अनुसार, AI 2030 तक भारत की GDP में $450-500 बिलियन का योगदान कर सकता है, जबकि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की 2023 की रिपोर्ट बताती है कि 2023-2027 के बीच AI और डिजिटलीकरण के कारण भारत में लगभग 22% नौकरियों में बदलाव आने का अनुमान है। मुख्य रूप से, डेटा एंट्री और बेसिक बुककीपिंग जैसे क्लर्किकल और रूटीन कार्यों में कमी आएगी, जबकि एनालिटिक्स, AI/ML और रचनात्मक भूमिकाओं में वृद्धि होगी।
आईटी/बीपीओ, वित्तीय सेवाएँ, विनिर्माण, खुदरा और ई-कॉमर्स, तथा कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में AI का दोहरा प्रभाव देखा जा रहा है। जहाँ कुछ रूटीन तकनीकी और मैनुअल कार्य AI ऑटोमेशन से प्रभावित हो रहे हैं, वहीं AI/ML इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, AI एथिसिस्ट, और प्रिसिजन एग्रीकल्चर स्पेशलिस्ट जैसी नई भूमिकाओं की भारी मांग पैदा हो रही है।
कौशल के स्तर पर, विश्लेषणात्मक सोच, रचनात्मकता, और AI व बिग डेटा विशेषज्ञता जैसे कौशल की मांग तेजी से बढ़ रही है, जबकि मैनुअल डेटा एंट्री और रूटीन कार्यों से संबंधित कौशल की मांग घट रही है।
भारत के सामने विशाल कौशल अंतर, असंगठित क्षेत्र पर जोखिम, और शिक्षा प्रणाली में अंतराल जैसी चुनौतियाँ हैं। हालाँकि, भारत सरकार ने इन चुनौतियों का सामना करने और AI के अवसरों का लाभ उठाने के लिए राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता रणनीति, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम, पीएम कौशल विकास योजना 4.0 और इंडियाAI मिशन जैसी पहलें शुरू की हैं।
संक्षेप में, AI भारत में नौकरियों को पूरी तरह खत्म नहीं करेगा, बल्कि उन्हें बदलेगा। जो लोग नए कौशल सीखने के लिए तैयार हैं, उनके लिए नए और बेहतर अवसर पैदा होंगे, जबकि रूटीन काम करने वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
सफलता की कुंजी बड़े पैमाने पर पुनर्स्किलिंग/उन्नयन कार्यक्रम, शिक्षा प्रणाली को भविष्य के कौशल के लिए तैयार करना, स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देना और जिम्मेदार AI विकास सुनिश्चित करना है।


