भारत का AI सफर: वैश्विक क्रांति में स्वदेशी नवाचार से नेतृत्व तक

MAHESH CHANDRA PANT
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 भारत का AI सफर: वैश्विक क्रांति में स्वदेशी नवाचार से नेतृत्व तक 

    



भूमिका:  कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अब विज्ञान कथा नहीं, बल्कि हमारी सांसों में समाती तकनीक है। उद्योगों को पुनर्जीवित करने से लेकर आम आदमी के जीवन को सरल बनाने तक - AI ने वैश्विक परिदृश्य बदल दिया है। इस क्रांति में भारत महज एक 'उपभोक्ता' नहीं, बल्कि सक्रिय 'सृजनकर्ता' और 'नेतृत्वकर्ता' बनकर उभरा है। सरकार, उद्योग, शिक्षा और स्टार्टअप्स का अद्भुत तालमेल भारत को वैश्विक AI महाशक्ति बनाने की ओर अग्रसर है।

रणनीतिक नींव: सरकार का स्पष्ट दृष्टिकोणभारत की AI यात्रा की सबसे बड़ी ताकत है - लक्ष्योन्मुखी नीतियाँ और ज़मीनी पहलें।इंडियाAI मिशन (2024): ₹10,300 करोड़ के इस मेगा प्रोजेक्ट ने भारत के AI भविष्य की नींव रखी:इंडियाAI कंप्यूट: देश के पहले सुपरकंप्यूटिंग क्लस्टर में 18,693+ GPU लगाए जा रहे हैं, जो शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स को विश्वस्तरीय संसाधन देंगे।

भारत डेटासेट प्लेटफॉर्म: भारतीय भाषाओं, संस्कृति और संदर्भों वाला दुनिया का सबसे बड़ा ओपन-सोर्स डेटा भंडार तैयार हो रहा है।इंडियाAI फ्यूचरस्किल्स: देश भर में 200+ AI लैब्स और 10,000+ GPU-एनबल्ड सर्टिफिकेशन कोर्स शुरू किए गए हैं।इंडियाAI इनोवेशन सेंटर: स्वदेशी AI मॉडल्स (जैसे BharatGen) को फंडिंग और इन्क्यूबेशन सपोर्ट।

नेशनल AI स्ट्रैटेजी (2018): नीति आयोग की यह पहल 'AI फॉर ऑल' के दर्शन पर आधारित है। इसमें स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में AI को बढ़ावा दिया गया।बजटीय प्रतिबद्धता: 2025 के बजट में AI रिसर्च और डिजिटल इंफ्रा के लिए ₹782 करोड़ से अधिक आवंटित। अनुमान है कि 2027 तक भारतीय AI सेक्टर $17 बिलियन तक पहुँचेगा।

भारत की ताकत: प्रतिभा, स्टार्टअप्स और स्वदेशी मॉडलवैश्विक प्रतिभा का गढ़:भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा AI टैलेंट पूल है (16% वैश्विक प्रतिभा)।आईआईटी, आईआईएससी, आईआईआईटी जैसे संस्थानों से हर साल 45,000+ AI विशेषज्ञ निकलते हैं।ग्लोबल टेक जायंट्स (Google, Microsoft) में भारतीय मूल के लीडर्स AI रिसर्च की दिशा तय कर रहे हैं।

स्टार्टअप इकोसिस्टम में जोश: नीरामाई: AI से सस्ती, विकिरण-मुक्त स्तन कैंसर स्क्रीनिंग।

क्रॉपिन: सैटेलाइट डेटा और AI से किसानों को फसल स्वास्थ्य रिपोर्ट।

स्टाक्यू: पुलिस के लिए AI-आधारित फेशियल रिकग्निशन सिस्टम।

ओला कृतिम: भारतीय भाषाओं के लिए देश का पहला LLM (बड़ा भाषा मॉडल)।

स्वदेशी मॉडल्स की क्रांति:भारतजन (BharatGen): आईआईटी बॉम्बे द्वारा विकसित यह ओपन-सोर्स मॉडल 1,600+ भारतीय बोलियों/भाषाओं को समझता है।

आईआईटी मद्रास का 'वैद्य': आयुर्वेदिक टेक्स्ट को समझने वाला विश्व का पहला AI मॉडल।

भाषिनी: भारत सरकार का मल्टीमॉडल AI प्लेटफॉर्म, जो टेक्स्ट, स्पीच, इमेज को 100+ भारतीय भाषाओ में प्रोसेस करता है।

जीवन बदलते अनुप्रयोग: क्षेत्रवार क्रांतिस्वास्थ्य सेवा:आईआईटी मद्रास का AI टूल डायबिटिक रेटिनोपैथी की शुरुआती पहचान करता है।सिगट्यूपल जैसे स्टार्टअप्स लैब टेस्ट्स को AI से ऑटोमेट कर रहे हैं।कोविड के दौरान AI ने संक्रमण पूर्वानुमान और वैक्सीन वितरण में अहम भूमिका निभाई।

कृषि क्षेत्र:टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का 'क्रॉप-इन्सुरेंस मॉडल' मौसमी जोखिम का AI आधारित आकलन करता है।सेंसर युक्त ड्रोन खेतों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग करके पानी और उर्वरक की बचत कर रहे हैं।शिक्षा का रूपांतरण:'ओलिव' जैसे प्लेटफॉर्म्स छात्रों को AI ट्यूटर दे रहे हैं, जो उनकी सीखने की गति के अनुरूप सामग्री ऑटो-जनरेट करते हैं।एनपीटीईएल पर भारतीय भाषाओं में AI कोर्सेज की भरमार है।

स्मार्ट शासन और अवसंरचना:डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI): आधार, UPI, को-विन प्लेटफॉर्म्स पर AI एकीकरण से सेवाएँ तीव्र और व्यक्तिगत हुई हैं।

यातायात प्रबंधन: दिल्ली और बेंगलुरु में AI ट्रैफिक लाइट्स ने जाम का समय 20% तक घटाया है।

आपदा प्रतिक्रिया: चक्रवात पूर्वानुमान में AI मॉडल्स अब 85%+ सटीक हैं।

सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: नीति आयोग के अनुसार, 2035 तक AI भारत की अर्थव्यवस्था में $957 बिलियन का योगदान कर सकता है।

रोज़गार सृजन: AI ने डेटा एनोटेटर्स, एआई ट्रेनर्स, एथिक्स ऑडिटर्स जैसी 5 लाख+ नई भूमिकाएँ बनाई हैं।समावेशन: भारतजन जैसे मॉडल्स ने ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे लोगों को भी डिजिटल दुनिया से जोड़ा है।

वैश्विक नेतृत्व: जी20 और ब्रिक्स में भारत ने 'AI लोकतंत्रीकरण' और 'जिम्मेदार AI' का एजेंडा बढ़ाया है।

चुनौतियाँ और आगे का रास्ता भारत के समक्ष कुछ गंभीर बाधाएँ भी हैं:

डेटा संकट: भारतीय संदर्भों के लिए गुणवत्तापूर्ण डेटासेट्स की कमी। 

कंप्यूटिंग संसाधन: एडवांस्ड AI रिसर्च के लिए पर्याप्त GPU इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव।

नैतिक खतरे: एल्गोरिदमिक पूर्वाग्रह, डेटा गोपनीयता और डीपफेक जैसे जोखिम।

ब्रेन ड्रेन: विदेशों में बेहतर अवसरों के कारण प्रतिभा का पलायन।

समाधान के उपाय:

डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क: सुरक्षित डेटा शेयरिंग के लिए कानून बनाना।

सुपरकंप्यूटर विस्तार: इंडियाAI कंप्यूट मॉडल को देश के सभी IITs तक ले जाना।

एआई एथिक्स काउंसिल: सरकार-उद्योग-अकादमिया की संयुक्त समिति बनाना।

रिसर्च इंसेंटिव्स: स्वदेशी AI प्रोजेक्ट्स के लिए टैक्स छूट और ग्रांट्स बढ़ाना।

निष्कर्ष: भविष्य का नक्शा कृत्रिम बुद्धिमत्ता में भारत का योगदान किसी 'तकनीकी उछाल' से कहीं बढ़कर है। यह एक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का मॉडल है, जहाँ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वदेशी मॉडल्स और समावेशी नीतियाँ एक साथ काम कर रही हैं। 'इंडियाAI मिशन' जैसी पहलें साबित करती हैं कि भारत विदेशी टेक्नोलॉजी का अनुयायी नहीं, बल्कि ग्लोबल AI इनोवेशन का नया पावरहाउस बनने जा रहा है। आने वाले वर्षों में, जब दुनिया 'भारतीय मॉडल' की बात करेगी, तो वह केवल डिजिटल भुगतान नहीं, बल्कि नैतिक, सस्ती और समावेशी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मिसाल होगी। यह भारत की तकनीकी सॉवरेन्टी का स्वर्णिम अध्याय है।


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